हर ग्रह के अपने नैसर्गिक कारकत्व होते हैं लेकिन जब वे दूसरे ग्रहों से युति सम्बन्ध बनाते हैं तो इनकी अपनी शक्ति व गुणों में परिवर्तन आ जाता है। ज्योतिष का थोड़ा सा भी ज्ञान रखने वालों को पता हैं कि वैदिक ज्योतिष के अनुसार, एक जन्मकुंडली में 12 भाव व 9 ग्रह होते हैं। मेरे पास बहुत से लोग आते हैं जो यह पूछते हैं कि कुंडली का सबसे अच्छा भाव कौन सा है? और कुंडली के सभी ग्रहों की हमारे जीवन में क्या भूमिका रहती है? कौन सा ग्रह सबसे अधिक शक्तिशाली है या कौन सा ग्रह कुंडली में सबसे अधिक प्रभावी है? उनमे से अधिकतर ग़लतफहमी का शिकार होते हैं, जो यह समझते हैं कि जीवन में आयी परेशानियों का कारण कुंडली का कोई भी एक ग्रह/planet है। यह उनकी गलती नहीं क्योंकि उन्हें अधिकतर ज्योतिषियों से यही सुनंने को मिलता है। कुछ ग्रह विशेषकर, अशुभ ग्रहों की श्रेणी में रख दिए गए हैं। मुझे और भी अधिक परेशानी होती है जब कोई समझदार और सीखा हुआ ज्योतिषी भी जीवन की परेशानियों का भार इन ग्रहों पर डाल देता है। शनि, मंगल, राहु और केतु को अधिकतम दोष दिया जाता है।
हालांकि, मैं कर्म सिद्धांत में विश्वास रखता हूँ और यह निश्चित करना चाहता हूँ कि कोई भी ग्रह अच्छे या बुरे प्रभाव नहीं देता। यह आपका स्वतंत्र निर्णय/ free will है जो बुरे से बुरे ग्रहों के प्रभाव को भी शांत रख सकता है और अच्छे ग्रहों के प्रभाव को और भी अधिक अच्छे परिणाम देने के लिए बाध्य कर सकता है। मैं शनि, जो जन्म कुंडली/Janam Kundli में कर्म को दर्शाता है, को सबसे सहायक ग्रह मानता हूँ जो दूसरे ग्रहों से मिलने वाले प्रभावों का निर्धारण करता है। मैं इस अवधारणा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में विस्तार से बताऊंगा और साथ ही साथ विभिन्न ग्रहों की भूमिका की भी चर्चा करूँगा। कुंडली में ग्रहों की भूमिका और महत्व समय के साथ बदलता रहता है। इसीलिए, किसी भी ग्रह या युति को देखकर खुश या डरने की बजाय ये साधारण बातें समझ लें - शुरुआत में ही बता दूँ कि किसी भी कुंडली में केवल अच्छे या बुरे ग्रह नहीं होते। कोई भी ग्रह चाहे वह किसी भी भाव में हों, कमज़ोर हो या मज़बूत हों, अपने आप परिणाम नहीं देते। सभी ग्रहों की भूमिका सैद्धांतिक रूप से एक जैसी ही रहती है। ग्रहों का कुंडली में महत्व व्यक्ति की आयु बढ़ने के साथ-साथ बदलता रहता है। इसीलिए किसी भी ग्रह का प्रभाव जीवन की विभिन्न अवस्थाओं के अनुसार समझना चाहिए। कैसे ? आपको समझ आएगा जैसे- जैसे आप आगे पढ़ते जायेंगें । सबसे ज़रूरी है यह जानना कि कुंडली में विभिन्न ग्रहों का प्रभाव आपकी स्वतंत्र इच्छा/free will पर निर्भर करता है कि आप कैसे किसी ग्रह के साथ ताल-मेल बिठाते हैं। आपकी कुंडली आपके जन्म के समय पर ग्रहों की स्थिति है। कुंडली के ग्रह आपके जन्म के समय विभिन्न नक्षत्रों में थे जो आपकी जन्म कुंडली में पता चलते हैं। आपके जन्म का समय भगवान ब्रह्मा ने निश्चित किया है। ब्रह्मा जी कैसे जन्म समय निश्चित करते हैं, वह आपके पिछले जन्म के अधूरे कर्मों पर निर्भर करता है। तो एक तरह से आप खुद ही अपनी जन्म कुंडली के निर्माता हैं और यह बस, विधाता के द्वारा आपको दी गयी है। एक साधारण मान्यता है की 9 में से कुछ ग्रह मित्र हैं तो कुछ शत्रु। आइयें एक उदाहरण लेते हैं , यदि मंगल ग्रह, सूर्य का मित्र है तो शुक्र का शत्रु है। एक मित्रतापूर्ण मंगल बहुत अच्छे परिणाम देगा जब हमें इसकी ज़रुरत अपने करियर व अधिकार के लिए होगी पर यही मंगल बुरे परिणाम देगा जब हमें शुक्र (प्रेम, रोमांस, शादी) की सहायता की ज़रुरत होगी। तो इसलिए, यह निर्भर करता है कि जीवन के किस मोड़ पर आपको मंगल की ताकत चाहिए और किस मोड़ पर यह आपको नुकसान पहुंचा सकता है। अगर एक अत्यधिक शुभ ग्रह कमज़ोर हो तो वह हमें अपने अच्छे प्रभाव देने में असमर्थ होगा। ठीक इसी प्रकार, एक बुरा ग्रह कमज़ोर होने पर अपने बुरे फल नहीं दे पायेगा। तो जब हम ग्रहों की बात करते हैं तो उनकी भूमिका एक जैसी ही रहती है पर उनका महत्व समय के साथ बदल जाता है। ग्रहों का अच्छा -बुरा प्रभाव हमारे कर्मों पर ही निर्भर करेगा। जन्म कुंडली में ग्रहों की भूमिका साधारणतया चंद्रमा, शुक्र, बृहस्पति और बुध ग्रह को शुभ ग्रह माना गया और सूर्य, मंगल, शनि, राहु और केतु को अशुभ (हानिकारक) ग्रह कहा गया है। प्रत्येक ग्रह के अपने नैसर्गिक या प्राकृतिक गुण/लक्षण होते हैं, लेकिन जब ये अन्य ग्रह से युति करते हैं तो इनके परिणामों में फेल-बदल हो जाता है। जीवन में मिलने वाले ग्रहों के परिणाम कुंडली के बारह भावों में इन ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हैं। मैं इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा कि कौन सा ग्रह कौन से भाव में कैसे प्रभाव देता है। यह एक ज्योतिषीय विश्लेषण है और ज्योतिषी इसे सुगमता से कर पायेंगें। लेकिन एक बात हैं कि यदि ग्रह अच्छे घर में बैठा है तो आपको अच्छे ही परिणाम देगा। छाया ग्रह (जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है) राहु और केतु, सबसे शक्तिशाली ग्रहों सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण लगा देते हैं। तो फिर हम समझ सकते हैं कि बुरे या अशुभ ग्रह की संगति से शुभ ग्रह के अच्छे परिणामों पर क्या असर पड़ता होगा? ये शुभ परिणाम समाप्त हो जाते हैं। यह एक मूलभूत वैदिक ज्योतिष का नियम है लेकिन व्यक्ति विशेष के लिए परिणाम उसकी व्यक्तिगत जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार होंगें। अब मैं दो ग्रहों के बारे में विस्तार से बताऊंगा, जिससे आप समझेंगे कि जीवन के विभिन्न चरणों में प्रत्येक ग्रह की भूमिका और महत्व कैसे बदलता है। सूर्य: सूर्य ग्रह को आत्मकारक ग्रह कहा गया है। इसके गुणों में पिता के समान व्यवहार, अपार शक्ति, स्वाभिमान और अधिकार आदि आते हैं। कुंडली का सूर्य ही बताता है कि आप दुनिया के सामने कैसे अपने-आप को प्रदर्शित करते हैं या दुनिया के सामने आपका क्या व्यक्तित्व है। यदि एक बली सूर्य ऊर्जा और अधिकार को दिखता है, तो वहीँ एक कमजोर सूर्य व्यक्ति को अहंकारी/अति आत्मविश्वासी बना सकता है। व्यक्ति को अपने करियर के लिए एक बलशाली सूर्य की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अपने व्यक्तिगत संबंधों के लिए नहीं। मंगल: मंगल व्यक्ति के साहस, जुनून, बहादुरी, ताकत और आत्मविश्वास को दर्शाता है। लेकिन जीवन के कई ऐसे क्षेत्र है जहां हमें इन गुणों की आवश्यकता नहीं होती। एक बलशाली मंगल आपके करियर में मदद कर सकता है लेकिन आपके वैवाहिक जीवन पर बिकुल उलट प्रभाव डाल सकता है। चंद्रमा: चंद्रमा मन का कारक है, यह मातृत्व, प्रेम, मन की शांति व भावनाओं को दर्शाता है। एक बली चंद्रमा व्यक्ति को जीवन के हर मोड़ पर मदद करता है। वहीँ एक कमजोर चंद्रमा/weak moon व्यक्ति को चंचल मन, मानसिक परेशानी या अवसाद की स्थिति दे सकता है। शुक्र: शुक्र ग्रह प्रेम, संबंध, रोमांस, सौंदर्य, यौन सम्बन्ध, व सभी प्रकार के रिश्तों को दर्शाता है। बहुत से लोग नहीं जानते होंगे, लेकिन एक अच्छा शुक्र आपको आपके करियर की ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। अब आपको कहाँ शुक्र की मदद लेनी है ये आपको तय करना होगा। बुध: बुध ग्रह वाणी, बुद्धि, सतर्कता और तर्क का प्रतिनिधित्व करता है। यद्यपि बुध जीवन भर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, लेकिन शिक्षा के प्रारंभिक समय में यह अधिक महत्व रखता है। बृहस्पति : बृहस्पति ग्रह ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। बृहस्पति की भूमिका शिक्षा और करियर के क्षेत्र में अध्क महत्वपूर्ण है। इसलिए हो सकता है कि यह व्यक्ति की कम उम्र में या, प्रारंभिक बचपन में इतना महत्वपूर्ण न हो। राहू: राहू नाम और प्रसिद्धि लाता है, लेकिन खराब राहू अपमान लाता है। राहू सांसारिक इच्छाओं का ग्रह है, यह व्यक्ति को चालाक बनता है। जीवन में यदि राहू ग्रह का अधिक प्रभाव हो तो व्यक्ति, मोबाइल फोन / इंटरनेट से संबंधित गतिविधियों में बहुत अधिक व्यस्त रहता है और इसका परिणाम हम जानते हैं। राहू एक छाया और रहस्मयी ग्रह है, जो यदि नकारात्मक हो जाये, तो व्यक्ति को अति-महत्वाकांक्षी, अति-आत्मविश्वासी और बेपरवाह बना देता है। इससे प्रभावित व्यक्ति, कोई सीमा नहीं जानता और सभी सीमाओं को एक के बाद एक पार करता है। इसका परिणाम हम ढोंगी बाबाओं, व्यापारियों, नौकरशाहों और राजनेताओं के रूप में देखते हैं। इन सबके जीवन में राहू, कभी न कभी एक बहुत बुरा दौर लाता है। तो आप इसका उपयोग कैसे करते हैं यह आप पर निर्भर करता है। आप नियंत्रण में रहें, राहू अच्छी भूमिका निभाएगा, आप डींगें मारें या ज़रुरत से ज़्यादा दिखावा करें तो राहू बुरे फल देगा तो राहू का परिणाम आपके हाथ में है। केतु: केतु ग्रह अध्यात्म तो दिखाता है लेकिन वैराग्य भी। यह भी एक छाया ग्रह है जिसका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है। केतु को सांसारिक इच्छाओं के लिए अशुभ और आध्यात्मिक रूप से लाभकारी माना जाता है। तो केतु यदि नकारात्मक हो तो व्यक्ति को युवावस्था में सांसारिक इच्छाओं से दूर ले जाता है, जब आपको इनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसमें प्यार और रोमांस भी शामिल है। शनि: शनि कर्म का कारक ग्रह है और व्यक्ति के जीवन को उसके द्वारा किये कर्मों के अनुसार ढालता है। जब भी आप अति महत्वाकांक्षी बनते हैं या गलत कार्य करते हैं तो शनि आपको दंड देता है। शनि एक शिक्षक और पुलिस दोनों की भूमिका निभाता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप शनि से क्या चाहते हैं। एक ग्रह के रूप में शनि के बारे में इतनी व्यापक जानकारी है कि मैं इसे यहाँ संक्षेप में प्रस्तुत नहीं कर सकता। इसके लिए आप मेरे द्वारा लिखे ‘शनि का हमारे जीवन पर प्रभाव’ अलग से पढ़ सकते हैं। यह सब समझाने के बाद, अब मैं कुंडली में विभिन्न ग्रहों की भूमिका के बारे में एक और महत्वपूर्ण पहलू पर आता हूँ। कैसे पता करें कि ग्रह बली है या कमज़ोर ? यह पता करने के लिए की ग्रह में कितना बल है , सबसे महत्वपूर्ण है होता है ग्रह का षड्बल परखना। षड का मतलब है छह और बल का मतलब है शक्ति। इसका मतलब है कि एक ग्रह के पास छह तरह का बल होता है जो निश्चित करता है कि कुंडली में ग्रह बली है या निर्बल। ये छह प्रकार हैं स्थान बाल, दिक् बल, काल बल, चेष्टा बल, नैसर्गिक और द्रिक बल। सभी ग्रहों के आपसी सम्बन्ध के कारण व्यक्ति के जीवन पर एक मिश्रित प्रभाव होता है। अशुभ ग्रहों की दृष्टि या अन्य सम्बन्ध, शुभ ग्रह की शुभता को समाप्त कर सकते हैं। ग्रह का षड्बल ज्ञात करना एक अत्यधिक कुशल ज्योतिष का काम है। षड बल निकालने की चर्चा मैं यहाँ नहीं करना चाहूंगा। एक साधारण नियम के अनुसार यदि ग्रह जन्म व नवांश कुंडली में एक ही राशि में स्थित हो तो वह ग्रह वर्गोत्तम कहलाता है। यह एक ग्रह का सबसे शक्तिशाली रूप है। इसलिए यदि कुंडली में एक भी वर्गोत्तम ग्रह हो तो यह एक आशीर्वाद से कम नहीं और कहीं अगर एक से अधिक ग्रह वर्गोत्तम हों जाएं तो कहना ही क्या। ग्रह हमें कैसे प्रभावित करते हैं ? अंत में, ग्रह हमें कैसे प्रभावित करते हैं, ग्रहों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? और ग्रहों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? ये सब कुछ हमारे अपने हाथों में हैं। हमने अपने पिछले जन्म में जो कुछ भी किया है वह हमारी इस जन्म की कुंडली में दिखाई देता है। ग्रहों का हमारे जीवन पर प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि हमारा व्यवहार किस तरह से इन ग्रहों पर प्रभाव डाल रहा है। सूर्य का विभिन्न भावों में प्रभाव आपको यह जानने में मदद करेगा कि आप बाहरी दुनिया के लिए कैसे व्यक्तित्व हैं। चन्द्रमा का विभिन्न भावों में प्रभाव समझें और अपने मस्तिष्क व मन पर नियंत्रण रखें। जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण भाग है प्रेम, रिश्ते, सम्बन्ध व साझेदारी। इसीलिए यहां पर शुक्र का विभिन्न भावों में प्रभाव समझना आवश्यक हो जाता है। साथ ही साथ अपने कर्मों को भी नियमित करते चलें। Read more: What if Horoscope is Bad |Kundli Milan Kaise Karen | Sahi Kundli Banaye | भाग्य संहिता कभी भी किसी अच्छे या बुरे ग्रह को देखकर प्रसन्न या उदास न हों , जीवन के विभिन्न चरणों में विभिन्न ग्रहों का सम्मान करना सीखें जिस के लिए वे बने हैं। अपनी स्वतंत्र इच्छा का सही इस्तेमाल करें। ऐसे और विचारणीय लेखों को vinaybajrangi.com पर पढ़ें, मेल लिखें या मेरे कार्यालय में +91 9278555588/9278665588 पर संपर्क करें। Source: https://sites.google.com/view/kundlipredictions/blog/role-of-planet-in-our-life-hindi-kundli
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March 2023
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